हड़प्पा सभ्यता के पतन के कारणों का वर्णन | Harappa Sabhyata Ke Patan Ke Karan

हड़प्पा सभ्यता के पतन के कारणों का वर्णन करें

2005 ईस्वी पूर्व से लेकर 1500 ईसवी पूर्व के बीच के कालखंड को भारतीय इतिहास में हड़प्पा सभ्यता के नाम से जाना जाता है यह सभ्यता सिंधु घाटी क्षेत्र भारतीय उपमहाद्वीप में आता है हड़प्पा सभ्यता की खोज 1980 में दयाराम साहनी ने किया था यह सभ्यता सबसे बड़ी सबसे प्राचीन सभ्यता थी इस के पतन के कारणों को लेकर विद्वानों में अब भी मतभेद है परंतु 1900 के आसपास का विकसित स्वरूप समाप्त हो गया था फिर भी कई विद्वानों ने अपने अपने अनुसार कई कारण बताए हैं

हड़प्पा सभ्यता के पतन के कारण
अलग-अलग विद्वानों ने अपने अपने अनुसार कोई कारण बताएं जो निम्नलिखित है

विदेशी आक्रमण

कुछ विद्वानों का कहना है कि आर्यावशीयो ने सिंधु सभ्यता पर आक्रमण कर उसका नाश कर डाला परंतु आर्यों के आगमन से यह सभ्यता पूरी तरह से नष्ट नहीं हो सकी वस्तुतः हड़प्पा सभ्यता के पतन के लिए अन्य कारण उत्तरदाई थे।

प्राकृतिक कारण

हड़प्पा सभ्यता के पतन के लिए अनेक इतिहासकारों ने प्राकृतिक कारणों को उत्तरदाई माना है उनका मानना है कि सिंधु घाटी क्षेत्र में आगे चलकर वर्षा कम हो गई फल स्वरुप कृषि और पशुपालन में कठिनाइयां होने लगी ।
कुछ इतिहासकारों के अनुसार हड़प्पा सभ्यता में रेगिस्तान बढ़ गया तथा मिट्टी में लवणता बढ़ गई और उरवता समाप्त हो गई जिसके कारण हड़प्पा सभ्यता का पतन हो गया

सिंधु सभ्यता में बाढ़ आने के कारण ही इस सभ्यता का नाश हो गया सिंधु सभ्यता के क्षेत्र में भूकंप आया जिससे भौगोलिक दृष्टिकोण से वहां के लोग मिट्टी में दब गए और बाद में शेष बचे हुए लोग उस जगह को छोड़कर अन्य जगह पर चले गए

कुछ इतिहासकारों का मानना है कि मलेरिया महामारी आदि का प्रकोप हुआ जिससे काफी लोग पीड़ित हो गए और लोगों के असमयिक मृत्यु हो गई

आर्थिक कारण

हड़प्पा सभ्यता के पतन का सबसे प्रमुख कारण आर्थिक कारण था कृषि उत्पादन में कमी आई तथा उद्योग धंधों एवं व्यापार में भी गिरावट आई हड़प्पा सभ्यता के अंतिम चरण में राजनीतिक एवं अन्य कारणों से अंतर्देशीय एवं विदेशी व्यापार समाप्त हो गया जो सिंधु सभ्यता का मुख्य आधार था हड़प्पा सभ्यता के अंतिम चरण आते-आते प्रशासनिक संयंत्र डीला और कमजोर पड़ गया एवं राज्य का अंत हो गया प्राकृतिक साधनों पर जनसंख्या में वृद्धि के कारण दबाव बढ़ता जा रहा था परिमाण स्वरूप आर्थिक स्थिति कमजोर पड़ती है और नगरों का पतन सुनिश्चित हो गया

इस प्रकार सिंधु घाटी सभ्यता के विनाश में विभिन्न कारणों का योगदान रहा कोई एक कारण इस सभ्यता के लिए उत्तरदाई नहीं थी अंततः इस सभ्यता का पतन 1900 ईसवी पूर्व आसपास हो गया था

 

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