हड़प्पा सभ्यता की विशेषताएं

भारत इतिहास में 25 मई से लेकर सदस्य 50 ईसवी पूर्व के काल को हड़प्पा काल के नाम से जाना जाता है। इस सभ्यता की खोज सर्वप्रथम 1921 ईस्वी में दयाराम साहनी तथा माधव स्वरुप वचन ने किया था। यह सभ्यता का सहयोग का उच्चतम शिखर था । इसलिए इसे का संयोजन सभ्यता के नाम से भी जाना जाता है, तथा सिंधु नदी के किनारे स्थित होने के कारण इस सभ्यता को सिंधु घाटी सभ्यता के नाम से भी जाना जाता है। यह सजाता अपने समकालीन सभ्यताओं में सबसे प्राचीन तथा सबसे बड़ी मानी जाती है।

हड़प्पा-सभ्यता-की-विशेषताएं

सिंधु घाटी सभ्यता की विशेषताएं निम्नलिखित है।

  • सामाजिक विशेषता
  • विद्वान वर्ग
  • योद्धा वर्ग
  • व्यापारिक वर्ग
  • श्रमिक वर्ग

समाज में सबसे ऊंचा स्थान विद्वान वर्ग को प्राप्त था। योद्धा वर्ग का मुख्य कार्य सभ्यता की सुरक्षा करना था, व्यापारियों के कारण सिंधु घाटी सभ्यता में व्यापारिक वर्ग उभरा तथा सबसे अंत में श्रमिक वर्ग आता था। समाज के 4 भाग में बैठे होने के बावजूद हड़प्पा सभ्यता में सामाजिक समरूपता देखने को मिलती है।

सेंधव समाज मातृसत्तात्मक था, अतः इस समाज में स्त्रियों की दशा आज तक के इतिहास में सबसे उत्तम थी। इस सभ्यता में स्त्रियों काफी मान सम्मान दिया जाता था। यहां के लोग शाकाहारी या मांसाहारी दोनों प्रकार के भोजन करते थे। सैंधवकालीन स्त्री तथा पुरुष दोनों ही आभूषण प्रेमी थे। स्त्रियां साल पोशाक तथा गले में हाल तथा काथ में सोने के आभूषण का प्रयोग करती थी।पुरुष लंबे बाल एवं दाढ़ी मूछ रखा करते थे। सैंधववासी की मनोरंजन के लिए शतरंज पाशा आदि खेलते थे।

आर्थिक विशेषता

सिंधु घाटी सभ्यता की आर्थिक स्थिति कृषि पशुपालन उद्योग धंधे तथा व्यापार वाणिज्य पर आधारित थी। जिस में मुख्य रूप से कृषि एवं पशुपालन ही ज्यादा प्रचलित थी।

कृषि में सेंध वासी गेहूं तथा जौ की खेती मुख्य तौर पर किया करते थे, इसके साथ ही साथ चावल बजरा सरसों का पास नारियल आदि की भी खेती की जाती थी। खेती करने के लिए सेंधव वासी पत्थर तथा लकड़ी से बने औजार का इस्तेमाल करते थे, क्योंकि इन्हें लोहे का ज्ञात नहीं था।

पशुपालन में यहां लोग हैं गाय भेड़ बकरी हाथी आदि कई जानवर पालते थे। कुछ लोगों का कहना है कि इस सभ्यता में घोड़े पालतू थे तो कुछ लोगों का कहना है कि इस सभ्यता में घोड़े थे ही नहीं।

धार्मिक विशेषता

सिंधु घाटी सभ्यता में मातृदेवी की उपासना सबसे ज्यादा प्रचलित थी। इस सभ्यता में ज्यादातर प्रकृति की पूजा की जाती थी जिसमें पीपल ब्रिज सबसे ज्यादा पूजनीय था, हालांकि इस सभ्यता में कहीं भी कोई मंदिर का प्रमाण नहीं मिले हैं, फिर भी जा सभ्यता धार्मिक मान्यताओं में काफी आगे था। इस सभ्यता में मूर्तियों की पूजा होती थी, जिसमें स्त्री जानवर तथा पुरुष देवताओं की मूर्ति की उपासना की जाती थी।

इस सभ्यता में नारी मूर्तियों के साथ-साथ पुरुष देवता की पूजा होती थी, जिसमें योगीराज पशुपतिनाथ तथा शिवलिंग पूजनीय था। यहां के लोग गले में तथा हाथ में ताबीज पहना करते थे अब थार से सिंधु घाटी सभ्यता में काफी अंधविश्वास व्याप्त था।

राजनीतिक जीवन

सिंधु घाटी सभ्यता में पुरोहित वर्ग शासन हुआ करता था सांसों को देवता का प्रतिनिधि माना जाता था इस सभ्यता के शासन का केंद्र हड़प्पा मोहनजोदड़ो तथा यहां दुर्गों के माध्यम से शासन हुआ करता था।

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