गुप्त काल को स्वर्ण युग क्यों कहा जाता है ?

240 ईसवी से लेकर 550 ईसवी तक के काल को भारतीय इतिहास में गुप्त काल के नाम से जाना जाता है गुप्तवंश का संस्थापक श्रीगुप्त गुप्त काल एक बहुत ही सुदृढ़ काल था इस काल में हर एक चीजें उपलब्ध थी जिसके कारण गुप्त काल का जीवन अत्यंत सरल था गुप्त काल हरे क्षेत्र में प्रगति हुई तथा हर एक क्षेत्र का विकास हुआ इस काल में कुछ महत्वपूर्ण शासक हुए जैसे श्री गुप्त चंद्रगुप्त प्रथम समुद्रगुप्त चंद्रगुप्त द्वितीय स्कंद गुप्त आदि इन सभी इन सभी शासकों ने बहुत ही अच्छे ढंग से शासन किया तथा राज्य का विकास और विस्तार किये ।

गुप्त काल को स्वर्ण युग क्यों कहा जाता है ?

गुप्त काल को स्वर्ण युग क्यों कहा जाता है

गुप्तकाल भारतीय इतिहास का एक ऐसा काल था जिस काल में स्थापत्य कला चित्रकला आर्थिक स्थिति सामाजिक स्थिति धार्मिक स्थिति तथा राजनैतिक स्थिति सभी उन्नत दशा में थे । इस काल में इन सभी चीजों का विकास हुआ तथा यह सभी कलायें जैसे – चित्रकला, स्थापत्य कला तथा मूर्तिकला आदि सभी अपने चरम पर पहुंच गये । गुप्त काल का जीवन सुख सुविधाओं से युक्त था, या किसी प्रकार की कोई कमी नहीं थी।

गुप्त काल को स्वर्ण युग कहा जाता था इसके स्वर्ण युग कहे जाने के निम्नलिखित कारण थे ।

1. योग्य सम्राट

गुप्त वंश की स्थापना 275 ईसवी के लगभग तथा पतन 550 ईसवी में हुआ इस काल के बीच में गुप्त वंश को अत्यंत महत्वपूर्ण शासक मिले। जैसे – चंद्रगुप्त प्रथम, समुद्रगुप्त, चंद्रगुप्त द्वितीय आदि। इन्होंने गुप्त काल में ना केवल अपनी वीरता का परिचय दिया बल्कि यहां की सामाजिक धार्मिक राजनीतिक तथा आर्थिक स्थिति को भी अच्छा किया है जिससे गुप्तकाल स्वर्णकाल हो गया।

2. विदेशी शासन की संपत्ति

गुप्त शासकों ने विदेशी राज्यों पर आक्रमण किए तथा विदेशी शासकों को पराजित कर अपने अधीनता स्वीकार करवाई। गुप्त शासकों ने विदेशी राज्य को भारत से विलीन कर दिया तथा उनकी सत्ता को उखाड़ फेंका, जिसे देश में सुख शांति की स्थापना हो सकी।

3. राजनीति एकता की स्थापना

मौर्य काल के समाप्ति के बाद मौर्योत्तर काल आया, जिसमें भारत खंड-खंड में विभाजित हो चुका था। जब गुप्त शासक संता पर आयें तो इन्होंने फिर से एक अखंड भारत का निर्माण किया तथा पुनः गुप्त काल में एकता कायम की।

4. आर्थिक समृद्धि

गुप्त काल में जीवन का मुख्य आधार कृषि तथा इस काल में कृषि का अत्याधिक विकास हुआ। कृषि में उत्पादन बढ़ गया। इसके अलावा गुप्त काल में व्यापार-वाणिज्य भी प्रचलित था, जिसके कारण गुप्त काल की आर्थिक स्थिति समृद्ध हुई तथा गुप्तकाल स्वर्णकाल के रूप में उभरा ।

5. साहित्यक विकास

गुप्त काल साहित्य के विकास का युग था। इस काल में राज दरबार में अनेक प्रसिद्ध तथा विद्वान को भी रहे थे, जिन्होंने साहित्य का अपूर्व विकास किया ।
जैसे – हरिषेण (प्रयाग प्रशस्ति), (विशाखदत्त मुद्राराक्षस), विष्णु शर्मा (पंचतंत्र), वराहमिहिर‌ आदि थे । इस साल के सबसे प्रसिद्ध विद्वान कालिदास थे, जो चंद्रगुप्त द्वितीय के दरबार में रहते थे ।

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