अशोक के धम्म से आप क्या समझते हैं? इसके प्रचार के लिए उसने क्या कदम उठाए?

मौर्य वंश के चक्रवर्ती सम्राट अशोक का शासनकाल 269 ईसवी पूर्व से लेकर 232 ईसवी पूर्व तक माना जाता है जो अपने धर्म के कारण विश्व के प्राचीनतम राजाओं में अपना अलग स्थान रखता है।

अशोक के धम्म से आप क्या समझते हैं? इसके प्रचार के लिए उसने क्या कदम उठाए?

वास्तव में धम्म समस्त धर्मों की अच्छाइयों को कहते हैं अशोक का धर्म संक्रीणता से बहुत दूर और संप्रदायिकता से बहुत ऊपर उठा हुआ था लेकिन अशोक ने धार्मिक विचारों तथा सिद्धांतों में धीरे-धीरे क्रमागत विकास हुआ । अशोक अपने धम्म को स्तूपों पर, चैतयों पर तथा शिलालेखों पर अंकित करवाता था ।

कलिंग युद्ध के पहले अशोक ब्राह्मण धर्म को मानता था वह मांस भी खूब खाया करता था । राजमहल में मोर के साथ-साथ है और असंख्या पशु पक्षियों का प्रति दिन वध होता था, लेकिन कलिंग युद्ध के बाद उसके विचार में महान परिवर्तन हो गया । उसने ब्राह्मण धर्म को छोड़ दिया और बौद्ध धर्म को अपना लिया अशोक ने अपने धर्म से संप्रदायिकता का अंत कर अपने धम्म में विश्व के सभी धर्मों के महत्वपूर्ण तत्व को ग्रहण किया और उसको विश्व धर्म में स्थान देने की कोशिश की ।

अशोक ने अपने धर्म की प्रचार के लिए निम्नलिखित कार्य किए ।

  1. उसने धम्म के सिद्धांतों को शिलालेखों पर खुदवाया तथा उसे जगह-जगह पर स्थापित करवाया ।
  2. अशोक ने धम्म महामात्रों की नियुक्ति की यह कर्मचारी राज्य में घूम-घूम कर लोगों में धम्म के सिद्धांतों का प्रचार करते थे ।
  3. उसने अपने सभी कर्मचारियों को लोगों के साथ अच्छा व्यवहार करने का आदेश दिया था ।
  4. अशोक ने धम्म प्रचार प्रसार के लिए काफी ज्यादा धन को खर्च किया ताकि यह विदेशों तक फैल सके ।
  5. उसने स्वयं अपने पुत्र महेंद्र तथा पुत्री संघमित्रा को इसके प्रचार का काम सौंपा था जिससे धम्म ज्यादा दूर तक फैल सके ।

 इन Topic को जरूर पढ़िए।

Related Posts

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *